मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने उज्जैन निवासी डॉ. मोहन यादव, क्या टूटेगा महाकाल नगरी का मिथक या उज्जैन छोड़ेंगे नए सीएम

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने उज्जैन निवासी डॉ. मोहन यादव, क्या टूटेगा महाकाल नगरी का मिथक या उज्जैन छोड़ेंगे नए सीएम

BHOPAL. मिथक है कि महाकाल राजा की नगरी में पीएम, सीएम रात नहीं रुकते, यदि रुकते हैं तो उन्हें अपनी सरकार से हाथ धोना पड़ जाता है। मिथकों के अनुसार महाकाल राजा की नगरी उज्जैन में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति भी यहां रात नहीं रुक सकते। अब उज्जैन निवासी महाकाल भक्त मोहन यादव मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। कहते हैं अभी तक किसी ने महाकाल नगरी में उज्जैन में रात नहीं गुजारी है। क्या मोहन यादव इस मिथक को तोड़ेंगे?

20 दिन बाद गिर गई थी येदियुरप्पा सरकार

अभी हाल ही में शिवराज सरकार की उज्जैन में कैबिनेट बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने नहीं बल्कि, उज्जैन के महाकाल राजा ने की थी। बकायादा अध्यक्ष वाली कुर्सी पर महाकाल राजा की फोटो रखी गई थी। हालांकि, इन दावों के पीछे कुछ ऐसे किस्से हैं जो फिलहाल चर्चा में हैं। देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक बार उज्जैन आए थे। वे उज्जैन में ही रात रुक गए थे और अगले ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी। ऐसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन आए थे और यहीं रात रुक गए थे। नतीजतन 20 दिन बाद उन्हें अपने पद से त्याग पत्र देना पड़ा था।

सिंधिया राजवंश में दी राजाधिराज की उपाधि

सिंधिया वंश के 14वीं पीढ़ी के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार, जब हमारे पूर्वज महाराष्ट्र से निकले तो पहली राजधानी सिंधिया राजवंश की उज्जैन में बनी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि सिंधिया राजवंश ने यह नीति बनाई कि उज्जैन के एक ही महाराज हैं और वो हैं महाकाल। सिंधिया ने कहा- मैं इस वंश की 14वीं पीढ़ी हूं और आज भी मैं जब मालवा के दौरे पर जाता हूं तो उज्जैन में कभी रात्रि विश्राम नहीं करता हूं। सिंधिया ने कहा- सिंधिया परिवार का गृहनिवास उज्जैन में कभी नहीं रहा, लेकिन उज्जैन शहर के बॉर्डर के बाहर एक महल है, हम वहां रुकते हैं।

जानिए क्या है मान्यता

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में यह मान्यता बहुत लंबे समय से चला आ रहा है, कि जो भी भक्त बाबा महाकाल के दरबार में रात गुजारते हैं, उनकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती है। दरअसल बाबा महाकाल को उज्जैन का राजाधिराज माना जाता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि बाबा महाकाल के दरबार में एक साथ दो राजा नहीं रुक सकते हैं। अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गलती से भी यहां रात गुजारता है तो उसकी सत्ता में वापसी की राह मुश्किल हो जाती है।

राज गद्दी में विराजित होते थे महाकाल

जब राजा विक्रम भी यहां के राजा थे तब उनका किला भी इस परिधि में ही था, लेकिन जब भी विक्रम न्याय करने जाते थे तब राजा की कुर्सी पर भगवान महाकाल विराजित होते थे, इसलिए वह न्याय कर पाते थे। उन्होंने यहा राज किया इसलिए विक्रम राजा को इस परिधि में रहने की अनुमति मिली। इसलिए वो यहां के राजा कहलाते थे। बाकि कोई अन्य राजा रात रुकेंगे तो उन्हें दंड के रूप मे परिणाम भुगतना पड़ता है।

बहुत पुरानी है यह परंपरा

दरअसल, यह कोई नई परंपरा नहीं है। अवंतिका नगरी में राजा विक्रमादित्य की यह राजधानी थी। राजा भोज के समय से ही उज्जैन में कोई रात में नहीं रुकता था। इस मंदिर का निर्माण 1736 में हुआ है। परंपरा का पालन लोग उसी समय से करते आ रहे हैं।

पंडित महेश पुजारी ने बताया राज

बाबा महाकाल की अपनी एक परंपरा है, जो निरंतर चली आ रही है। पंडित महेश पुजारी ने बताया कि बाबा महाकाल की अपनी एक परिधि है। यहां कोई भी मुख्यमंत्री व कोई भी राज्य घराने का राजा, वो सब इस परिधि से दूर रहते हैं। धर्मध्वजा जहां तक उसकी छाया जाती है उस क्षेत्र तक कोई राजा रात नहीं रुक सकता है। लगभग महाकाल मंदिर पर जो ध्वज लहराता है वो 7 से 8 किलोमीटर तक उस ध्वज की छाया पड़ती है।

CM Mohan Yadav Chief Minister of Madhya Pradesh मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री resident of Ujjain will the myth of Mahakal city be broken will the new CM Mohan Yadav leave Ujjain? उज्जैन निवासी सीएम मोहन यादव क्या टूटेगा महाकाल नगरी का मिथक उज्जैन छोड़ेंगे नए सीएम मोहन यादव